जीवन की साँझ बेला में आँखों के सामने एक-एक कर ढलते सखा-संबंधियों को देख कर द्रवित निराला की भीगी सचकहनी - As the doom arrives, Nirala sees his near and dear ones departing one by one and then talks to the mirror in this poignant work - मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला देखता हूँ, आ रही मेरे दिवस की सान्ध्य बेला मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला पके आधे बाल मेरे हुए निष्प्रभ गाल मेरे चाल मेरी मन्द होती आ रही हट रहा मेला मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला देखता हूँ, आ रही मेरे दिवस की सान्ध्य बेला मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला जानता हूँ, नदी-झरने जो मुझे थे पार करने कर चुका हूँ, हँस रहा यह देख कोई नहीं भेला मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला देखता हूँ, आ रही मेरे दिवस की सान्ध्य बेला मैं अकेला, मैं अकेला मैं अकेला, मैं अकेला Main Akela, Main Akela Main Akela, Main Akela Dekhta Hoon, Aa Rahi Mere Divas Ki Saandhy Bela Main Akela, Main Akela Main Akela, Main Akela Pake Aadhe Baal Mere Huye Nishprabh Gaal Mere Chaal Meri Mand Hoti Aa Rahi Hat Raha Mela Main Akela, Main Akela Main Akela, Main Akela Dekhta Hoon, Nadee-Jharane Jo Mujhe The Paar Karane Kar Chukaa Hoon, Hans Raha Yah Dekh Koyi Nahin Bhela Main Akela, Main Akela Main Akela, Main Akela Dekhta Hoon, Aa Rahi Mere Divas Ki Saandhy Bela Main Akela, Main Akela Main Akela, Main Akela Lyrics : Suryakant Tripathi 'Nirala' Vocals and Composition : Dr Kumar Vishwas Music Arrangement : Band Poetica All Rights : KV Studio Follow us on :- YouTube :- http://youtube.com/KumarVishwas Facebook :- https://www.facebook.com/KumarVishwas Twitter :- https://twitter.com/DrKumarVishwas